मत बैठो भगवान भरोसे
मत बैठो भगवान भरोसे
आत्मशक्ति को उजागर कर
हमें कुछ अर्जित करना है
राह मुश्किल नजर आएगी,पर
हर परिस्थितियों से हमें लड़ना है।
भगवान भी देते है साथ उनका
जो काम करने की कोशिश करता है
सुर दुर्लभ मानव तन पाकर
मत बैठो भगवान भरोसे।
परम पिता की अद्भुत रचना
हम सब उसके प्यारें है
ऐसा कुछ काम करो बंदे
परिपूर्णता का तुम मशाल बनो।
जिंदगी कभी फूलों से सजी महफिल है
तो कभी,कांटो की सेज भी है
अनमोल रत्नों का खजाना है जिंदगी
मत बैठो भगवान भरोसे।
जीने का नाम है जिंदगी
जियो और सबको जीने दो
कल हमारा बचपन था,आज जवानी है
बुढ़ापा भी,एक दिन आना ही है।
क्या तू लेकर आया था जग में
और साथ क्या तू लेकर जायेगा
चलते रहें,यह कहती है जिंदगी
मत बैठो भगवान भरोसे।
नूतन लाल साहू नवीन